हिमांशु राज एम.डी. न्यूज़ वॉइस अंबिकापुर जिला सरगुजा छत्तीसगढ़

सरगुजा आंचल की धरती पर दशहरा पर्व केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व से भी जुड़ा हुआ रियासत काल से चली आ रही परंपराआज भी जीवित है । और इसे संजोने का कार्य कर रहे हैं।
परंपरा सरगुजा राज परिवार के वर्तमान प्रमुख प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री महाराजा टी.एस. सिंह देव इस वर्ष भी उन्होंने दशहरा अवसर पर रघुनाथ पैलेस में पारंपरिक अनुष्ठानों का आयोजन किया। शहर के हृदय स्थल स्थित रघुनाथ पैलेस में सुबह से ही विशेष चहल – पहल देखने को मिली पैलेस के प्रांगण में राज परिवार के प्रमुख टी.एस. सिंह
देव ,युवराज आदित्येशवर शरणसिंह देव के द्वारा ढोल नगाड़ों की गूंज, वैदिक मंत्र मंत्रोचार के बीच गज, अश्वशस्त्र पूजन, नगाड़ा पूजन सहीत अन्य अनुष्ठान कराए गए। राज परिवार के टी.एस सिंह देव ने राजघराने के इस विरासत को निभाया। नगाड़ा पूजन सहित अनुष्ठान कराया गया ।इस प्रकार सरगुजा राज पैलेस में दशहरा परव केवल धार्मिक रसम अदायगी ही नहीं बल्कि एक जीवंत परंपरा का उत्सव है जो आधुनिकता के बीच भी इतिहास की गवाही देता है। दिन भर चले इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया पूजा अर्चना गददी पर बैठकर आमजन से मुलाकात और पान वितरण किया गया पहले पैलेस परिसर में मिले। मेले जैसा माहौल रहा। आमजन से मुलाकात और पान वितरण किया गया। पैलेस परिसर में मेले जैसा माहौल रहा। दशहरा पर जनता अपने राजा को नजराना यानी तोहफा भी भेंट करती थी यह परंपरा भी वर्षों तक जीवित रही ग्रामीण इलाकों से ग्रामीण इलाकों से लोग धन ,फल ,कपड़े यानी वस्तुएं अपने राजा को समर्पित करते और बदले में आशीर्वाद पाते हैं ।आज भले ही यह परंपरा सीमित हो गई हो पर पुराने लोग अभी इस दौर को याद करके गर्व
महसूस करते हैं शस्त्र नगाडा पूजन और राजगद्दी पर महाराज शस्त्र नगाड़ा पूजन का महत्व भारतीय संस्कृति मे गहरा है ।सरगुजा राज परिवार सदियों से इस दिन अपने शस्त्रों की पूजा करता आ रहा है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि शक्ति, साहस ,रक्षा का प्रतीक माना जाता है पूजन के पश्चात महाराज टी. एस.सिंह राजसी पोशाक में सुसज्जित होकर कचहरी में राजगद्दी पर विराजमान हुए। गददी पर बैठने का यह दृश्य देखते ही प्रांगण मौजूद लोग भाव विभोर होते हैं मानो रियासत काल के पन्ने फिर से जीवंत हो उठे हो महाराज के दरबार में आमजन बारी-बारी से पहुंचते उन्हें प्रणाम करते दशहरे की शुभकामनाएं देते हैं इस अवसर पर राजसीआतिथय की झलक भी देखने को मिली जब मेहमानों का स्वागत दसई पान से किया गया दशहरा के दिन सरगुजा में पान केवल स्वाद की वस्तु ही नहीं बल्कि स्वागत सम्मान का प्रतीक है दसई पान की दशहरा पर्व रघुनाथ पैलेस में तो पान वितरण के परंपरा विशेष आकर्षण का केंद्र रहती है यह केवल एक पान नहीं बल्कि स्वागत और सम्मान का प्रतीक है।

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