उत्तर प्रदेश लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने महिलाओं की पीड़ा का दर्द लोकसभा में सभापति के समक्ष उठाया सांसद चंद्रशेखर आजाद ने देश की करोड़ों कार्यरत महिलाओं से जुड़े एक अत्यंत महत्वपूर्ण लेकिन लंबे समय से उपेक्षित विषय की ओर आकर्षित करते हुए मासिक धर्म अवकाश का मुद्दा उठाया चंद्रशेखर आजाद ने कहा मासिक धर्म कोई बीमारी नहीं है यह एक जैविक प्रक्रिया है परंतु इसके दौरान होने वाले तेज दर्द और कमजोरी और स्वास्थ्य संबंधी जो जटिलताए है इसके बावजूद देश की करोड़ों महिलाएं मजदूर किसान की बेटियां छात्राएं और दफ्तर में कार्यरत कर्मचारी और संगठित क्षेत्र की महिलाओं को इन स्थिति में बिना किसी सुविधा के काम करने को मजबूर हैं आज भी हमारे देश में मासिक धर्म को लेकर कोई अवकाश स्पष्ट राष्ट्र नीति नहीं है कुछ निजी संस्थाए और दो-तीन राज्य पहल कर रहे हैं परंतु यह कदम राष्ट्रव्यापी रूप से लागू होना अभी बाकी है चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि मैं सरकार से आग्रह करता हूं की मासिक धर्म अवकाश पर सरकार तैयार हो और असंगठित क्षेत्र की महिलाओं को भी इसमें शामिल किया जाए स्कूल कॉलेज की छात्राओं के लिए भी आवश्यक प्रावधान हो और इस विषय पर एक व्यापक सर्वे चिकित्सा अध्ययन हो और परामर्श प्रक्रिया शुरू की जाए किसी भी आधुनिक लोकतंत्र में महिलाओं की गरिमा स्वास्थ्य और सम्मान के अवसर को अनदेखा नहीं किया जा सकता है समय आ गया है कि भारत भी मासिक धर्म अवकाश को अधिकार के रूप में स्वीकार करें कभी इस देश में भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता भारतीय संविधान के शिल्पी डॉ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़े थे और उनको पढ़ने का संपत्ति रखने का और और वोट देने का अधिकार बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने दिलाया था और सती प्रथा जैसे बंधन से मुक्त कराया था आज लोकसभा में चंद्रशेखर आजाद ने महिलाओं की पीड़ा के दर्द को समझ कर उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाई है इस देश में ऐसे सांसद हर जिले में होने चाहिए जो अपने देश के नौजवानों महिलाओं और बुजुर्गों का अधिकार भारत के संविधान के तहत विधानसभा में उठाते रहेंगे तब तक यह भारत देश विकसित होता रहेगा।


ब्यूरो चीफ रामानंद सागर

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