बहुआयामी समाचार से नागेन्द्र प्रजापति ब्यूरो चीफ प्रयागराज की खास खबर
प्रयागराज: बीसवीं सदी के प्रारंभ में भारत की धरती पर जिन महापुरुषों ने जन्म लेकर इस धरती को कृत कृत्य किया है उनमें शहीद रामचंद्र विद्यार्थी का नाम भी बड़े ही श्रद्धा और सम्मान के साथ लिया जाता है इनका जन्म 1 अप्रैल सन 1929 को उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद के नौतन हतियागढ़ गांव में एक कुम्हार परिवार में हुआ था इनके पिता का नाम बाबूलाल प्रजापति और माता का नाम मोती रानी देवी था प्राथमिक शिक्षा के लिए इनका नामांकन सहोदर पट्टी गांव के प्राथमिक विद्यालय में कराया गया था ।बचपन से ही ये तीव्र बुद्धि के थे और आसपास के वातावरण के प्रति संवेदन शील रहते थे बचपन में इनके दादा भरदुल प्रजापति इन्हें वीरों की कहानी सुनाया करते थे यही से इनके जेहन में देश की आजादी का जज्बा अंकुरित हुआ प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद इनका नामांकन नौतन से 12 किलोमीटर दूर बसन्तपुर घूसी विद्यालय में कराया गया। इनकी प्रखर वृद्धि से प्रभावित होकर इनके विद्यालय के गुरुजन और छात्र इनसे बहुत ही प्यार करते थे रामचंद्र विद्यार्थी अपने तीन अन्य भाइयों में से बड़े थे, इनका नाम गोपीनाथ राम बड़ाई और राम परिजन था।
उस वक्त सन 1942 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन मुंबई में चल रहा था ।अधिवेशन की गंभीरता को देखते हुए ब्रिटिश सरकार बहुत ही सतर्क थी और सम्मेलन स्थल को चारों तरफ से घेर रखी थी। चप्पे चप्पे पर पुलिस और सीआईडी के जवान तैनात किए गए थे भारत की जनता के उत्साह को देखते हुए महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो और करो मरो का नारा दिया, 8 अगस्त की रात को ज्यों ही यह प्रस्ताव पारित हुआ पुलिस फोर्स ने सक्रियता दिखाई और कांग्रेस के सभी बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए।गांधी और नेहरू को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। कुछ निचले पायदान के नेता सम्मेलन स्थल से भाग निकले और अपने-अपने क्षेत्र में चले गए। ये नेता अपने क्षेत्र में जाकर आंदोलन को सफल बनाने के लिए यहां की जनता को जागरूक करने लगे। नेताओं की गिरफ्तारी की खबर जंगल में आग की तरह पूरे देश में फैल गई, जनता सड़क पर आ गई पूरे देश में तूफान मच गया, सरकारी कर्मचारी भी जनता के साथ आ गए ,नौजवान स्त्री पुरुष सभी अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगा रहे थे। विदेशी वस्तुओं की होली जलाई गई लोगों ने सरकारी कार्यालय कचहरी, थानों पर अपना कब्जा जमा लिया। अंग्रेजों ने इस जन क्रांति को बंदूक की गोलियों से दबाने की काम किया क्रांति की यह आग बसंतपुर घुसी की तरफ की गई और पूरे क्षेत्र में अपने आगोश में ले लिया। 14 अगस्त को बसंतपुर घुसी कॉलेज से क्रांतिकारी छात्रों का एक जत्था तिरंगा झंडा लिए ब्रिटिश हुकूमत मुर्दाबाद अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगाते देवरिया मुख्यालय की तरफ बढ़ा इस टोली का नेतृत्व वसंतपुर घुसी के प्रधानाध्यापक यमुना राय कर रहे थे। इंकलाब जिंदाबाद के नारे से आकाश गूंज उठा और पैदल मार्च करते हुए प्रदर्शनकारियों की यह टोली देवरिया कचहरी से मजिस्ट्रेट के कार्यालय पर पहुंच गई इस टोली के साथ देवरिया नगर सहित क्षेत्र के हजारों लोग हम में शामिल हो गए अब मजिस्ट्रेट कार्यालय पर लगे यूनियन जैक उतार कर तिरंगा झंडा फहराना था लोग अभी कुछ सोच ही रहे थे कि 13 वर्ष 4 माह का यह क्रांतिकारी बालक रामचंद्र विद्यार्थी भीड़ से आगे निकला और अपने साथियों की मदद से कार्यालय की छत में चढ़ गया। इतने में अंग्रेजी फौज ने साथ जॉइन मजिस्ट्रेट उमराव सिंह वहां पहुंच गया। और रामचंद्र विद्यार्थी को नीचे उतरने निर्देश दिया किन्तु रामचंद्र विद्यार्थी को तिरंगा फहराने का जज्बा था। उन्होंने छत पर यूनियन जैक को उतारा और तिरंगा फहरा दिया इतने में उमराव सिंह की बंदूक की गोली निकाली और रामचंद्र विद्यार्थी के सीने पर लगी और यह धड़ाम से नीचे गिर गए यह खून से लथपथ थे उनके साथी उन्हें लक्ष्मी राम पोखरे ले गये जहां उन्होंने अंतिम सांस ली, उनकी मृत शरीर को सायं काल 4:00 बजे नौतन हतियागढ़ के पास गण्डक नदी के किनारे ले जाया गया जहां उनके शव को तिरंगे में लपेटा गया और हजारों के भीड़ में उनका अंतिम संस्कार किया गया। देश वासियों में आजादी की अलख जगाने लिए 13 वर्ष की उम्र में अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिए, ऐसे बीर सपुत को राम अभिलाष प्रजापति प्रदेश सचिव पिछड़ा वर्ग कांग्रेस उत्तर प्रदेश ,जंग बहादुर प्रजापति, दुर्गा प्रसाद प्रजापति,श्याम यादव,सद्धा सुमन अर्पित कर सादर नमन ।

