अयोध्या।पवित्र नगरी अयोध्या में एक दुखद समाचार ने सभी को शोकाकुल कर दिया है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सम्मानित सदस्य और अयोध्या राजवंश के मुखिया राजा विमलेन्द्र प्रताप मोहन मिश्र, जिन्हें जनमानस में प्रेम से “पप्पू भैया” के नाम से जाना जाता था, अब हमारे बीच नहीं रहे। शनिवार देर रात उन्होंने अयोध्या के राज सदन में अपनी अंतिम सांस ली। वह लगभग 71 वर्ष के थे। उनकी अंत्येष्टि आज, रविवार, दोपहर 12 बजे सरयू नदी के तट पर होगी, जहाँ उनके चाहने वाले और शुभचिंतक उन्हें अंतिम विदाई देंगे।

अयोध्या के राजवंश का गौरवशाली प्रतिनिधि

राजा विमलेन्द्र प्रताप मोहन मिश्र अयोध्या के राजवंश के वर्तमान प्रतिनिधि थे और स्थानीय लोगों के बीच “राजा साहब” के रूप में अत्यंत सम्मानित थे। उनका व्यक्तित्व न केवल शाही गरिमा से परिपूर्ण था, बल्कि उनकी सादगी और समाजसेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें जन-जन का प्रिय बना दिया था। वह अयोध्या रामायण मेला संरक्षक समिति के सक्रिय सदस्य थे और उत्तर प्रदेश सरकार की ऐतिहासिक भवनों के संरक्षण व पर्यटन को बढ़ावा देने वाली ‘हेरिटेज योजना’ की कार्यकारिणी में भी शामिल थे।

राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान

विमलेन्द्र प्रताप मोहन मिश्र का राम जन्मभूमि आंदोलन से गहरा नाता रहा। कहा जाता है कि बाबरी विध्वंस के बाद रामलला की मूर्ति उनके घर से ही भेजी गई थी, जो उनकी भगवान राम के प्रति अटूट आस्था और समर्पण को दर्शाता है। भारत सरकार द्वारा उन्हें श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का सदस्य नियुक्त किया गया था, जिसके माध्यम से उन्होंने राम मंदिर निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी नियुक्ति ने अयोध्या के राजवंश की ऐतिहासिक विरासत को और अधिक गौरव प्रदान किया।

समाजसेवा और संस्कृति के संरक्षक

पप्पू भैया के नाम से मशहूर विमलेन्द्र मिश्र न केवल एक शाही परिवार के वारिस थे, बल्कि एक समाजसेवी और संस्कृति के संरक्षक भी थे। उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर अयोध्या में रामायण मेला जैसी सांस्कृतिक पहल को बढ़ावा दिया। उनकी सक्रियता ने अयोध्या की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्थानीय लोग उन्हें एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में याद करते हैं, जिन्होंने हमेशा जनहित को प्राथमिकता दी।

अंतिम यात्रा और शोक की लहर

पप्पू भैया के निधन की खबर ने अयोध्या सहित पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी है। उनके चाहने वाले और स्थानीय लोग राज सदन में उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए एकत्र हो रहे हैं। आज दोपहर 12 बजे सरयू तट पर उनकी अंत्येष्टि होगी, जहाँ अयोध्या की पवित्र भूमि पर उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।

एक युग का अंत

राजा विमलेन्द्र प्रताप मोहन मिश्र का निधन न केवल अयोध्या राजवंश के लिए, बल्कि समस्त अयोध्यावासियों के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन भगवान राम की सेवा, समाजसेवा और सांस्कृतिक संरक्षण का प्रतीक था। उनके जाने से अयोध्या की शाही और आध्यात्मिक विरासत का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया।

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