जिला संवाददाता -विशाल गुप्ता

बाराबंकी से पैदल यात्रा कर मां वैष्णो देवी दर्शन करेंगे नारायण दत्त रामसनेहीघाट बाराबंकी। मां वैष्णो का दर्शन करने के लिए भक्त बड़े बड़े साधनों से जाते हैं। लेकिन तहसील क्षेत्र के इमामगंज मजरे रतौली निवासी नारायण दत्त पुत्र राम गोपाल अपने निवास स्थान से पैदल ही यात्रा कर मां वैष्णो देवी कटरा का दर्शन करने जा रहे हैं। नारायण दत्त की यात्रा इस बार पांचवीं यात्रा है। और यह देर रात को अपने घर से निकलते हैं क्योंकि किसी भी नारी की नजर न पड़ सके श्री दत्त के निवास स्थान से मां वैष्णो देवी की दूरी करीब 1500 किलो मीटर है। और यह यात्रा 29 दिनों मे पूरी करके मां वैष्णो देवी की शरण में अपनी अर्जी लगाते हैं। नारायण दत्त से बात की गई तो उन्होंने बताया की पांचवीं बार से अगस्त व सितंबर माह में ही वह अपनी पैदल यात्रा करके मां वैष्णो देवी की शरण में दर्शन कर अर्जी लगाते हैं। बताया कि दिन में पैदल यात्रा करके रात्रि हो जाने पर मंदिर आदि जगह पर विश्राम करते हैं। और सुबह होते ही फिर से यात्रा यह अपनी शुरुआत करते है इस भक्त की यात्रा से क्षेत्र में भी काफी प्रशंसा सुनने को मिल रही है यह भक्त अपनी माता जी के लिए मां मां वैष्णो देवी का पैदल यात्रा करता है जानकारी के अनुसार इस भक्त की माता जी का करीब 5 वर्ष पहले काफी बीमार थी तभी यह अचानक ही मां वैष्णो देवी के शरण में चल दिए। वहां पहुंचकर घर फोन किया तो उसकी मां काफी ठीक हो गई। उसके बाद से ही यह भक्त लगातार मां वैष्णो देवी के शरण में जा रहा है। रविवार रतौली प्रधान प्रतिनिधि वीर बहादुर सिंह, नान बाबू, साहब बक्श पाण्डेय, राम किंकल समेत अन्य लोगों ने यात्रा करने जा रहे भक्त नारायण दत्त का स्वागत करते हुए मंगल यात्रा की कामना किया। रविवार को श्री दत्त ने अपने निवास स्थान पर मां वैष्णो देवी माता का पूजा अर्चना कर सोमवार सुबह तीन बजे अपनी यात्रा मां वैष्णो देवी कटरा का शुरू किया।पांचवीं बार से लगातार मां के शरण में पहुंच रहा भक्तइमामगंज निवासी नारायण दत्त इस बार को लेकर पांचवीं बार मां वैष्णो देवी का दर्शन करने के लिए ही अकेले सोमवार सुबह निकल लिए है। सोमवार को यह भक्त अपने घर से निकल कर पैदल यात्रा कर रहा है। वही स्थानीय लोगो ने बताया की यह बड़ी बात है जो मां वैष्णो देवी का दर्शन करने के लिए पैदल जा रहे हैं और यही नही ये अकेले ही प्रति वर्ष पैदल यात्रा करते हैं जिससे रास्ते में भी कठिनाइयों का सामना भी इस भक्त को करना पड़ता है।

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