गणेशपुर लकड़मंडी समिति के तत्वाधान एवं जन सहयोग द्वारा विश्वकर्मा जयंती अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 17 सितंबर को मनाई जाती है क्योंकि यह कन्या संक्रांति का दिन होता है, जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है और इसी दिन भगवान विश्वकर्मा का अवतरण हुआ माना जाता है। यह तिथि चंद्रमा पर आधारित न होकर सूर्य की स्थिति पर निर्भर करती है। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं:सूर्य की स्थिति पर आधारित तिथि: विश्वकर्मा जयंती की तिथि चंद्रमा पर आधारित हिंदू पंचांग से अलग, सूर्य की स्थिति पर निर्भर करती है। कन्या संक्रांति: धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है, जिसे कन्या संक्रांति कहते हैं, उसी दिन भगवान विश्वकर्मा प्रकट हुए थे। यह गोचर हर साल 17 सितंबर के आसपास ही होता है, जिससे यह तिथि तय होती है। आधुनिक सुविधा: यह एक सामाजिक और औद्योगिक सुविधा के कारण अपनाई गई तिथि है, क्योंकि कारखानों और कार्यस्थलों पर काम करने वाले लोग एक निश्चित अंग्रेजी तिथि का पालन करने में अधिक सहज होते हैं। श्रम और कारीगरी का सम्मान: भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला इंजीनियर, वास्तुकार और शिल्पकार माना जाता है, और यह पर्व सभी इंजीनियरों, कारीगरों, और औद्योगिक श्रमिकों द्वारा अपने औजारों और मशीनों की पूजा के साथ मनाया जाता है, जो श्रम और कुशल कारीगरी का सम्मान दर्शाता है।

रिपोर्ट मंडल ब्यूरो चीफ अयोध्या तेज बहादुर शर्मा

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