रिपोर्ट रमाकांत
यह अवसर संघ के शताब्दी वर्ष (1925–2025) की गौरवमयी यात्रा को स्मरण करने का था मुख्य वक्ता –जिला प्रचारक कुश जी रहे। उन्होंने अपने बौद्धिक उद्बोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संघ ने 1925 से 2025 तक भारतीय समाज को संगठित करने, हिंदुत्व को जीवित रखने और अखंड भारत की संकल्पना को साकार करने हेतु अनवरत कार्य किया है। उन्होंने कहा कि संघ का उद्देश्य केवल संगठन नहीं बल्कि समाज की आत्मा को जागृत करना है।उन्होंने यह भी समझाया कि शताब्दी वर्ष केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हिंदू समाज को एकजुट करने और राष्ट्र को पुनः विश्वगुरु बनाने की प्रेरणा है। अध्यक्ष – संत सियाराम बाबा इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता संत सियाराम बाबा ने की। उन्होंने अपने प्रेरक आशीर्वचन में कहा कि – “यदि आज हिंदुत्व बचा हुआ है, तो उसके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन ही हैं।”उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदुओं की एकता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। यदि हम संगठित रहेंगे, तो न केवल हमारा धर्म सुरक्षित रहेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी गौरवपूर्ण भारत विरासत में मिलेगा।
संत सियाराम बाबा ने समाज से आह्वान किया कि संघ और संत समाज के मार्गदर्शन में हम सभी हिंदू एकसूत्र में बंधकर, परस्पर सहयोग और संगठन की भावना से, राष्ट्र की सेवा करें। कार्यक्रम की शोभा
इस कार्यक्रम में गोवर्धन के अनेक संतगण, प्रमुख रूप से निर्मल दास जी महाराज मलूक पीठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे – धर्मेंद्र जी मुख्य मार्ग प्रमुख मथुरा विभाग रहे कोसी जिला बौद्धिक प्रमुख बहादुर जी जिला शारीरिक प्रमुख रामेश्वर जी सह बौद्धिक प्रमुख धर्मेंद्र जी सेवा प्रमुख महेश जी एवं श्याम बाबू कौशिक माननीय खंड संघचालक गोवर्धन जीखंड प्रचारक अमित जी भानु पाराशर जी, राकेश जी, सहित नगर एवं खंड व विचार परिवार के सभी कार्यकर्ता उपस्थित रहेसंचालन नगर के मुख्य मार्गों से होता हुआ चंद्र गार्डन से प्रारंभ हुआ और छोटी परिक्रमा मार्ग – बड़ा बाजार मानसी गंगा, दानघाटी होते हुएमुरारी कुंज स्कूल में संपन्न हुआ। गीत प्रस्तुतकर्ता सुशांत जी, व्यवस्था प्रमुख श्यामसुंदर जी एवं बांचे लाल जी तथा सभी समर्पित कार्यकर्ताओं के प्रयास से यह उत्सव अत्यंत अनुशासित और आकर्षक बना। निष्कर्ष विजयादशमी उत्सव का यह आयोजन न केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्षों की गौरवशाली यात्रा का प्रतीक था, बल्कि इसने समाज को यह संदेश दिया कि हिंदुत्व तभी सुरक्षित रहेगा जब हम सब मिलकर, संगठन की शक्ति के साथ, एकजुट रहेंगे। यह कार्यक्रम वास्तव में गोवर्धन नगर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर में स्वर्णिम अध्याय के रूप में अंकित होगा






