*एम डी न्यूज़ जनपद रामपुर से सहायक ब्यूरो चीफ रफीउल्लाह खान के स्पेशल रिपोर्ट*लखनऊ।*राष्ट्रीय मानवाधिकार एण्ड एंटी करप्शन मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. वसीम रजा अंसारी ने हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस लखनऊ के कर्मठ और संवेदनशील अधिकारी संतोष तिवारी से भेंट की। यह मुलाकात न केवल औपचारिक रही, बल्कि मानवीय संवेदनाओं, सामाजिक सरोकारों और साहित्यिक विमर्श से भरपूर एक यादगार पल बन गई।कर्तव्य और संवेदनशीलता का संगमसंतोष तिवारी उत्तर प्रदेश पुलिस में अपनी निष्पक्ष, अनुशासित और संवेदनशील कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। वे वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य फोरेंसिक विज्ञान संस्थान, लखनऊ में जनसंपर्क अधिकारी (PRO) के रूप में कार्यरत हैं और इससे पहले एटीएस (Anti Terrorism Squad) में इंस्पेक्टर के रूप में महत्वपूर्ण दायित्व निभा चुके हैं।डॉ. वसीम रजा अंसारी ने उनकी सेवा भावना और समाज के प्रति समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि,“संतोष तिवारी जैसे अधिकारी पुलिस और जनता के बीच विश्वास का सेतु बनते हैं। उनकी कार्यशैली में अनुशासन के साथ मानवीयता झलकती है।”साहित्यिक चर्चा से सजी मुलाकातइस मुलाकात का विशेष आकर्षण था साहित्य पर हुई प्रेरणादायक चर्चा। पुलिस सेवा में रहते हुए भी संतोष तिवारी एक सशक्त साहित्यकार हैं। उनकी चर्चित पुस्तक “ये जरूरी तो नहीं…” का विमोचन उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी द्वारा किया गया था, वहीं उनकी दूसरी कृति “मेमसाब प्रदेश सरकार से” को अमृतलाल नागर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।डॉ. वसीम रजा अंसारी ने उनकी लेखनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि,“जब एक पुलिस अधिकारी कलम उठाता है, तो समाज का यथार्थ और अधिक सशक्त होकर सामने आता है। संतोष तिवारी की रचनाएं संवेदना और सत्य का सुंदर संगम हैं।”मानवाधिकार और समाज सुधार पर साझा दृष्टिकोणमुलाकात के दौरान दोनों ने समाज में मानवाधिकार जागरूकता, नागरिक सुरक्षा और जनसंवाद को मजबूत बनाने पर विचार साझा किए। डॉ. वसीम रजा ने कहा कि पुलिस और सामाजिक संगठनों के बीच सहयोग से ही मानवाधिकार की वास्तविक रक्षा संभव है।संतोष तिवारी ने भी मिशन की जनजागरूकता मुहिम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे संगठन समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का कार्य कर रहे हैं।यादगार पलयह भेंट सौहार्द, विचार और प्रेरणा से भरी रही। डॉ. वसीम रजा अंसारी ने इसे “यादगार मुलाकात” बताते हुए कहा कि ऐसे अधिकारी जिनमें सेवा और संवेदनशीलता का संतुलन हो, वे समाज के लिए आदर्श उदाहरण हैं।डॉ. वसीम रजा अंसारी और संतोष तिवारी की यह मुलाकात केवल एक औपचारिक भेंट नहीं, बल्कि दो संवेदनशील व्यक्तित्वों का मिलन थी — एक ओर समाज सेवा और मानवाधिकार की सोच, तो दूसरी ओर कानून, अनुशासन और साहित्य का संगम।यह मुलाकात संदेश देती है कि जब सेवा और संवेदना साथ चलें, तभी समाज में सच्चे परिवर्तन की शुरुआत होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *