
पिपरहवा की खुदाई में मिले रत्न भारत लाये गयें, जनपद वासियों में खुशी का माहौल
- हांगकांग में 100 करोड़ की नीलामी रुकी, प्रधानमंत्री व प्रो0 त्रिपाठी के प्रयासों से मिली सफलता।
- भगवान बुद्ध के पिपरहवा के पवित्र अवशेष 127 वर्षों के बाद अपने घर आ गये वापस।
सिद्धार्थनगर( सूरज गुप्ता )भारत की सांस्कृतिक धरोहर के लिए यह एक महत्वपूर्ण दिन है। पिपरहवा स्तूप से डकैती के दौरान ले जाए गए भगवान बुद्ध से जुड़े अमूल्य रत्न अब भारत वापस आ गए हैं। यह सफलता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु के प्राचीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ0 शरदेन्दु कुमार त्रिपाठी के प्रयासों का परिणाम है।
इन रत्नों को अब दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में जनता के दर्शन के लिए रखा जायेगा। लगभग ढाई हजार वर्ष पहले महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद उनके अवशेषों को आठ भागों में बांटा गया था। इनमें से एक भाग कपिलवस्तु के लोगों को मिला था।
उन्होंने पिपरहवा (वर्तमान सिद्धार्थनगर जनपद) में एक स्तूप का निर्माण करवाया था। बाद में सम्राट अशोक ने इस स्तूप का पुनर्विकास किया और उसमें भगवान बुद्ध को समर्पित रत्न मिट्टी के कलश में सुरक्षित रखवायें। समय के साथ यह स्तूप विस्मृति में चला गया।
वर्ष 1898 में एक स्थानीय जमींदार ने नहर निर्माण के बहाने खुदाई की। इस दौरान भगवान बुद्ध को समर्पित लगभग 1800 बहुमूल्य रत्नों को चुपचाप निकाल लिया गया। इतिहासकारों का मानना है कि यह एक प्रकार की सांस्कृतिक डकैती थी। खुदाई बिना किसी वैधानिक अनुमति के की गई थी और धरोहरों को निजी स्वार्थ में विदेश भेज दिया गया था। जमींदार ने रत्नों का एक हिस्सा कोलकाता के संग्रहालय को सौंपा।
लेकिन 331 रत्न गुप्त रूप से लन्दन ले जाये गयें। बाद में ये रत्न जमींदार के वंशजों के माध्यम से हांगकांग पहुंचे। वहां उन्हें हाल ही में एक कम्पनी ने 100 करोड़ रुपये की न्यूनतम बोली पर नीलामी के लिए ऑनलाइन रखा। इसी समय डॉ0 शरदेन्दु त्रिपाठी ने इस विषय पर आवाज उठाई और रत्नों की ऐतिहासिकता से सरकार को अवगत कराया। उनके शोध और प्रमाणों के आधार पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तुरन्त संज्ञान लिया। उन्होंने विदेश मंत्रालय को हस्तक्षेप के निर्देश दिये।
भारत सरकार के दबाव और प्रमाणों के आधार पर हांगकांग सरकार ने रत्नों की नीलामी को निरस्त कर उन्हें भारत को सौंप दिया। जिससे लोगो में खुशी की लहर दौड़ गयी है और जनपदवासियों की खुशी का ठिकाना नहीं है। सभी पर्यटन प्रेमी अत्यधिक प्रसन्न है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है कि हमारी सांस्कृतिक विरासत के लिए यह एक आनन्द का दिन है।
यह हर भारतीय को गर्व महसूस करायेगा कि भगवान बुद्ध के पिपरहवा के पवित्र अवशेष 127 वर्षों के बाद अपने घर वापस आ गये है। यह पवित्र अवशेष भारत के भगवान बुद्ध और उनके महान उपदेशों से गहरे सम्बन्ध को दर्शाती हैं। यह हमारे गौरवशाली संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को संरक्षित व सुरक्षित रखने की हमारी प्रतिवद्धता को भी दर्शाता है।