जिला क्राइम रिपोर्टर विशाल गुप्ता
बाराबंकी। मैंगो बेल्ट के रूप मे जाने जाने वाले मसौली क्षेत्र मे जिस तरह हरे भरे आम के पेड़ो पर आरा चलाकर अवैध प्लाटिंग का कार्य किया जा रहा हैं भूमाफियों की इस विनाशकारी प्रक्रिया से वह दिन दूर नही जब अमुक अमुक वैराइटी की आम बागे उजड़ा चमन हो जायेगा जिसका सीधा असर पर्यावरण एव स्थानीय पहचान पर पड़ेगा।
आम की बात करते है तो बरबस मलिहाबाद का नाम आ जाता है लेकिन आम की वैराइटी की बात की जाय तो जो वैराइटी मसौली क्षेत्र मे पायी जाती वह कही नही पायी जाती है यहां का आम विदेशो तक भी जाना जाता है जिसका ही कारण है कि मसौली क्षेत्र को मैंगो बेल्ट कहा जाता है बाराबंकी शहर से गोंडा बहराइच राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल प्लाजा पार करते ही बड़ी बड़ी आम की बागो की हरियाली नजर आने लगती थी लेकिन वर्तमान समय मे प्लाटिंग के नाम पर हरियाली को मुनाफे की जमीन मे मिटाया जा रहा है कहने को तो हाईकोर्ट ने आम के हरे पेड़ाें को काटने पर पूरे प्रदेश में रोक लगा दी है लेकिन बागों का शहर कहे जाने वाले इस क्षेत्र में कुल्हाड़ों का आतंक अपने चरम पर है। हरियाली का सफाया कर यहां कंक्रीट की इमारतें खड़ी की योजनाएँ बनाई जा रही है । शहरी विकास की दृष्टि से तेजी से बदल रहे बाराबंकी में हरियाली पर शामत जैसी आ गई है। वन व पुलिसकर्मियों की मिलीभगत से जिले में हरे पेेड़ों की अवैध कटान पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

( वृक्षारोपण कार्यक्रम को ठेंगा दिखा रहे है भूमाफिया)
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आहवान पर जहां विश्व पर्यावरण दिवस पर करोड़ों पौधे लगाने का रिकार्ड बना रहे है वही स्थानीय से लेकर पूर्वांचल से आकर भूमाफिया क्षेत्र की बागो को उजाड़ कर शहर बनाने की योजना बना रहे हैं जिसका कारण है प्रदेश की राजधानी एव शहर के नजदीक होने के कारण वर्तमान प्लाटिंग का काम करने वाले भूमाफियाओ की नजर इन बागो पर लग गयी है। मुख्यमंत्री की वृक्षारोपण कवायद को भू-माफिया ठेंगा दिखाते नजर आ रहे हैं. यहां आम के बाग में लगे आम के हरे-भरे पेड़ों को भू-माफिया ने काटकर सारे नियम कानून की धज्जियां उड़ा कर प्लाटिंग का व्यवसाय कर रहे है।
क्षेत्र में पर्यावरण पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
आम बागों को जिस तरह नष्ट कर प्लाटिंग का गौरखधंधा किया जा रहा वह दिन दूर नही जब लोगो के जीवन पर पर्यावरण का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जो एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि आम के बाग न केवल आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पर्यावरण और स्थानीय संस्कृति के लिए भी आवश्यक हैं क्योकि आम के पेड़ पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं, वे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, ऑक्सीजन छोड़ते हैं, और मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करते हैं।
बढ़ेगी बेरोजगारी होगा आर्थिक नुकसान
क्षेत्र मे बहुतायत रूप मे आम की बागे होने के कारण तमाम ऐसे परिवार है जिनका जीवनयापन आम के सहारे होता है जिन्हे आम की फसलों का इंतजार रहता है जिनके आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। पेड़ों के कटने से उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा
क्या कहते है ग्रामीण
क्षेत्र के बड़े बुजुर्गो से अंधाधुध बागो को साफ कर हो प्लाटिंग पर बात की गयी तो लोगो का कहना है कि
प्लाटिंग के लिए वैकल्पिक भूमि की तलाश की जानी चाहिए ताकि आम के बागों को काटा न जा सके और सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो आम के बागों के संरक्षण को बढ़ावा दें सके और. पर्यावरण संरक्षण कानूनों को सख्ती से लागू कर आम की बागों को कटान करने वालो पर शख्त कार्यवाही की जाय जिससे आम की बागों को बचाया जा सके तभी मसौली की हरियाली और पर्यावरण सुरक्षित रह सकती है।