जमीनी विवाद ने शंकरगढ़ को बनाया तनाव का केंद्र, नहीं थम रहा विवाद जमीन विवाद में बढ़ती जटिलता से समाधान की राह मुश्किलभूमि संबंधी विवाद सामाजिक समरसता के लिए खतरनाक राजस्व विभाग की लापरवाही से नहीं हो रहा निस्तारणएम. डी. न्यूज संवाददाता शिवम् द्विवेदी प्रयागराज। किसी भी भूमि संबंधी विवाद के निस्तारण का पूरा अधिकार राजस्व विभाग के पास है जबकि इसके लिए उनके पास शायद बल का अभाव है। वहीं पुलिस के पास बल तो है लेकिन भूमि संबंधी अधिकार नहीं है। इन दोनों की जुगलबंदी कभी बनती नहीं। एक को ठीक करो तब तक दूसरा पीछे हटने लगता है। बस इसी बिसात पर राजस्व कर्मियों की उपेक्षा से निस्तारण के अभाव में क्षेत्र में दर्जनों भूमि विवाद के मामलों की आग अंदर ही अंदर सुलग रही है। बर्षों से प्रशासन के लिए सिर दर्द बने कई मामले जो मुखर होने के बाद दवा तो दिए गए लेकिन ठोस हल के अभाव में यह मामले कभी भी दोबारा अपना फन उठाकर आम जनता व प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। सब कुछ जानते हुए भी प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ इस व्यवस्था को चरितार्थ कर रहे हैं। ऐसा ही ताजा मामला प्रयागराज के शंकरगढ़ क्षेत्र में जमीन विवाद एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, जिससे राजस्व व्यवस्था और कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। एक व्यापारी ने आरोप लगाया है कि शंकरगढ़ के एक प्लॉटर द्वारा उनकी जमीन पर कब्जा किया जा रहा है और राजस्व विभाग के अधिकारी भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।शंकरगढ़ नगर पंचायत निवासी व्यापारी दिलीप केसरवानी ने आरोप लगाते हुए बताया कि उन्होंने 15 साल पहले एक बीघा जमीन खरीदी थी, जिस पर अब प्लॉटर द्वारा कब्जा किया जा रहा है उन्होंने आरोप लगाया है कि हल्का लेखपाल से जानकारी लेने पर गोल-मोल जवाब दिया जाता है, इससे प्रतीत होता है कि हल्का लेखपाल की भी मिली भगत है।वहीं, प्लॉटर संजय सिंह का कहना है कि उन्होंने अपनी 5 विश्वा जमीन की रजिस्ट्री करवाई है और वह अपनी जमीन को प्लांट बनाकर बेची नामा कर दिए हैं। इस आरोप-प्रत्यारोप के दौर में कौन सही है और कौन गलत, यह तो राजस्व विभाग के जांच का मामला है।सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर शंकरगढ़ क्षेत्र में बढ़ रहे जमीनी विवाद को राजस्व विभाग द्वारा क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है, क्या किसी बड़ी अनहोनी की आस में है, अगर समय रहते राजस्व विभाग ने बड़ा कदम नहीं उठाया तो किसी बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता, व्यापारी दिलीप केसरवानी ने राजस्व विभाग से निवेदन किया है कि उनकी जमीन की नाप कर दी जाए ताकि विवाद सुलझ सके।

