, हजारों लोगों को कराया भोजनकोरोनाकाल में भी जनसेवा की पेश की थी अनोखी मिसाल

रिपोर्टर प्रदीप पाण्डेय बदायूं दातागंज। जनसेवा और मानवीय मूल्यों की मिसाल पेश करते हुए भाजपा नेता डॉ. शैलेश पाठक ने दातागंज विधानसभा क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर पीड़ितों को राहत पहुंचाई। उन्होंने अपने निजी संसाधनों से सैकड़ों परिवारों को आवश्यक सामग्री वितरित की और हजारों बाढ़ पीड़ितों को भोजन कराकर उनकी पीड़ा को बांटने का प्रयास किया।दातागंज विधानसभा का इलाका बड़ी गंगा और रामगंगा नदियों से घिरा हुआ है। इस वर्ष बड़ी गंगा में आई भीषण बाढ़ ने आसपास के गांवों में भारी तबाही मचाई। कटरा के आगे से निकलने वाली गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से खेत-खलिहान डूब गए और सैकड़ों परिवार बेघर हो गए। कई गांवों में तो हालात इतने बिगड़ गए कि लोगों को अपना घर-बार छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ीराहत सामग्री वितरण और भोजन सेवाऐसे कठिन समय में डॉ. शैलेश पाठक अपनी टीम के साथ प्रभावित गांवों में पहुंचे। उन्होंने हर जरूरतमंद तक खाद्य सामग्री, कपड़े और आवश्यक वस्तुएं पहुंचाईं। इसके साथ ही हजारों लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करवाई, ताकि कोई भी पीड़ित भूखा न रह जाए।डॉ. पाठक ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में जरूरत है कि हर सक्षम व्यक्ति पीड़ित परिवारों की मदद के लिए आगे आए। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं को भी सामाजिक दायित्व निभाने और सेवा भाव से कार्य करने का आह्वान किया।प्रशासन से हरसंभव मदद का आश्वासनराहत सामग्री वितरण के बाद डॉ. पाठक ने प्रशासनिक अधिकारियों से भी संवाद किया और बाढ़ पीड़ितों के लिए आवश्यक इंतज़ाम करने की मांग रखी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि पीड़ित परिवारों को किसी भी स्तर पर अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। प्रशासन, जनप्रतिनिधि और सामाजिक संस्थाएं मिलकर इस आपदा से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगी।”हर कार्य सरकार के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए”डॉ. पाठक ने अपने संबोधन में कहा कि यह एक दैवीय आपदा है और ऐसी परिस्थितियों में केवल सरकार पर निर्भर रहना उचित नहीं है। समाज की संस्थाओं, संगठनों और जिम्मेदार नागरिकों को भी आगे आकर पीड़ितों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कोरोना काल के समय भी जब लोग संकट में थे, तब उन्होंने निजी स्तर पर राहत सामग्री और दवाइयों की व्यवस्था कर हजारों जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाई थी।बाढ़ पीड़ित गांवों में जब डॉ. पाठक राहत सामग्री लेकर पहुंचे तो लोगों के चेहरों पर राहत और उम्मीद की चमक दिखाई दी। ग्रामीणों ने कहा कि संकट की इस घड़ी में जब वे अपने घर-बार से उजड़ गए, तब डॉ. पाठक ने उन्हें सहारा देकर नई उम्मीद दी है। उनका यह सहयोग सिर्फ राहत सामग्री तक सीमित नहीं है बल्कि मानसिक संबल भी प्रदान करता है।डॉ. पाठक ने सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवकों से भी बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आने की अपील की। उन्होंने कहा कि राहत और पुनर्वास का कार्य केवल प्रशासन के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। यदि समाज के हर वर्ग से थोड़ी-थोड़ी मदद मिले, तो कोई भी परिवार भूखा या बेघर नहीं रहेगा।डॉ. शैलेश पाठक का मानना है कि राजनीति का असली उद्देश्य जनसेवा है। उन्होंने कहा, “यहां की जनता ने हमें हमेशा परिवार का हिस्सा समझकर विश्वास दिया है। ऐसे में हमारा भी दायित्व है कि उनकी हर मुश्किल में हम उनके साथ खड़े रहें।”बाढ़ जैसी दैवीय आपदाओं में जहां लोग निराशा और कठिनाई में घिर जाते हैं, वहीं समाज के कुछ जिम्मेदार लोग मदद का हाथ बढ़ाकर मानवता को जीवित रखते हैं। डॉ. शैलेश पाठक का यह प्रयास न सिर्फ राहत सामग्री वितरण तक सीमित है बल्कि समाज में सहयोग और सेवा की भावना को भी प्रोत्साहित करता है। उनकी जनसेवा की यह मिसाल लोगों के बीच लंबे समय तक याद रखी जाएगी।

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