बाराबंकी: निपुण भारत मिशन के अंतर्गत संचालित पांच दिवस एफएलएन प्रशिक्षण के अंतिम बैच का समापन खंड शिक्षा अधिकारी देवा सुनील कुमार गौड़ की उपस्थिति में संपन्न हुआ।। समापन दिवस के सत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा तथा अंतरविषयक दृष्टिकोण की महत्ता पर विस्तृत रूप से विचार विमर्श हुआ।संतूर पाठ्यपुस्तक एवं कार्य पुस्तिका के संदर्भ में खेल आधारित पद्धति, भाषा अर्जन एवं भाषा अधिगम का भेद, शब्दावली संवर्धन हेतु उपसर्ग प्रत्यय विधि, उच्चारण सुधार तथा आनंद में शिक्षक वातावरण जैसे बहुविध आयामों पर गहन विचार विनिमय हुआ। खंड शिक्षा अधिकारी देवा सुनील कुमार गौड़ ने कहा कि प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान को व्यवहार में उतारना ही छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास का सुनिश्चित पथ है। अंतर विषयक दृष्टिकोण शिक्षा को जीवनोपयोगी बनाता है, तथा बालक की सहज जिज्ञासा का पोषण भी करता है।
प्रशिक्षण में एआरपी संध्या कबीर ने जानकारी दी कि संतूर पाठ पुस्तक खेल आधारित और गतिविधि प्रधान अधिगम का सशक्त माध्यम है।अभिषेक नाग ने 42 दिनों की उपचारात्मक शिक्षण,एनईपी,एनसीएफ के घटकों,4 ब्लॉक मॉडल के अंतर्गत मौखिक गणित बातचीत,कौशल शिक्षण,कौशल अभ्यास एवं गणित खेल पर जानकारी दी।।एआरपी अनूप कुमार त्रिपाठी ने कक्षा चार व पांच के पाठ्यक्रम के दिवस पर विभाजन एवं पाठ आधारित शिक्षण योजना पर समझ विकसित करने पर विशेष रूप से चर्चा की।एआरपी शिव पूजन शर्मा ने शिक्षण में आईसीटी के प्रयोग की संभावना, सीखने में पीछे रहे बच्चों का सहयोग, बच्चों को अभ्यास के अधिक अवसर पर चर्चा की।प्रशिक्षण में एआरपी अनूप कुमार ने भारतीय ज्ञान दर्शन पर समझ विकसित करने चर्चा की।
सुनील कुमार गौड़ ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान में दक्ष बनाना है, ताकि वे बच्चों को बेहतर ढंग से सिखा सकें।प्रथम बैच से अंतिम बैच तक देवा ब्लॉक के विभिन्न विद्यालयों से कुल 560 शिक्षकों ने प्रतिभाग किया एवं उन्हें प्रशिक्षित किया गया।।
रिपोर्ट तेज बहादुर शर्मा/रामानंद सागर।
