
मध्य प्रदेश सरकार ने विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड को किया भंग, परशुराम बोर्ड भंग ना किया जाना सवर्ण मानसिकता का घोतक।
सरकार के फैसले से अति पिछड़े समाज का भाजपा से हुआ मोहभंग:अशोक विश्वकर्मा।
वाराणसी ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने एक विज्ञप्ति में बताया है कि मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा अति पिछड़ा समाज के परंपरागत हुनर को विकसित करने तथा आर्थिक विकास के नाम पर चुनावी लाभ के लिए गठित, किए गए 14 सामाजिक बोर्डों में से 13 को भंग कर दिया है। उन्होंने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले अति पिछड़े समाज के वोटो को साधने और चुनावी लाभ के लिए अलग अलग समाजों के लिए 14 बोर्ड बनाए गए थे। जिनमें से मोहन सरकार ने 1 परशुराम बोर्ड को छोड़कर बाकी 13 बोर्डों को भंग कर दिया है। इन14 बोर्डों में 9 तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विभाग के अधीन थे। विश्वकर्मा ने बताया कि भंग किए गए कल्याण बोर्ड में प्रमुख रूप से 1. कुशवाह समाज 2. सोनी समाज के लिए स्वर्णकला बोर्ड 3. साहू समाज के लिए तेलघानी बोर्ड 4. मीना समाज के लिए जय मीनेष बोर्ड 5. कीर समाज के लिए मां पूरी बाई कीर बोर्ड 6. विश्वकर्मा समाज के लिए विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड 7. जाट समाज के लिए वीर तेजाजी बोर्ड 8. रजक समाज के लिए कल्याण बोर्ड 9. पाल समाज के लिए मां अहिल्या देवी बोर्ड 10. गुर्जर समाज के लिए देवनारायण बोर्ड 11. देवनारायण बोर्ड और मां अहिल्या देवी बोर्ड 12. जैन समाज के लिए जैन बोर्ड 13. सामाजिक न्याय विभाग का परशुराम बोर्ड अब भी सक्रिय है। परशुराम बोर्ड को भंग न किया जाना भाजपा की सवर्ण मानसिकता को उजागर करता है। विश्वकर्मा ने बताया है कि मध्य प्रदेश सरकार के इस फैसले से अति पिछड़े समाज में घोर आक्रोशऔर नाराजगी है। सरकार के इस फैसले से समाज के लोगों का भाजपा से मोह भंग हुआ है। जिसका असर आगामी चुनाव में देखने को मिलेगा।
