
शास्त्र एवं शस्त्र का सामंजस्य जरूरी -प्रो. हरेंद्र।
शस्त्र पूजन शक्ति और साहस का प्रतीक है, जो हमें अपने अधिकारों की रक्षा करने और अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करता है। शस्त्र का विवेक पूर्ण उपयोग हमें शास्त्रों से सीखने को मिलता है इसलिए शस्त्र एवं शास्त्र का सामंजस्य जरूरी है। उक्त बातें कैंटोनमेंट स्थित सूर्या होटल में क्षत्रिय धर्म संसद काशी द्वारा आयोजित शस्त्र पूजन कार्यक्रम में पूर्व कुलपति प्रो. हरेंद्र कुमार सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि कहीं।
कार्यक्रम अध्यक्ष कपिल सांख्य योग पीठ के पीठाधीश्वर अभय सिंह ने कहा कि शस्त्र पूजन धर्म और न्याय की रक्षा के लिए एक प्रतीकात्मक कार्य है, जो हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने और समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है। विशिष्ट अतिथि पूर्व शिक्षक विधायक चेत नारायण सिंह ने बताया कि शस्त्र पूजन हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें अपने पूर्वजों की परंपराओं और मूल्यों से जोड़ता है।
कार्यक्रम में प्रवीण सिंह, प्रो धर्मेंद्र सिंह ,डॉ रमेश सिंह ,संजीव कुमार सिंह ,अरुण सिंह, डॉ. केके सिंह, डॉ. राममूर्ति सिंह ,डॉ. जेपी सिंह, श्रीप्रकाश सिंह, स्वतंत्र बहादुर, संदीप प्रताप पिंटू, प्रसिद्ध नारायण, अंबिका सिंह आदि उपस्थित रहे ।कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय सिंह गौतम अतिथि परिचय किरण सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष रणविजय सिंह ने किया।
