धर्मेन्द्र कसौधन
करवा चौथ 2025 का पर्व शुक्रवार, 10 अक्टूबर को है। यह विशेष त्योहार भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्व रखता है। करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करके व्रत प्रारंभ करती हैं और पूरी दिनचर्या के दौरान भोजन और जल का त्याग करती हैं। व्रति महिलाएं पूरे दिन अपनी मानसिक और शारीरिक शक्ति बनाए रखती हैं और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करती हैं। शाम के समय चांद के दर्शन के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। इस अवसर पर महिलाओं द्वारा की जाने वाली पूजा, कथा और छलनी से चांद देखने की परंपरा इस त्योहार को और भी खास बनाती है। करवा चौथ केवल व्रत का दिन नहीं बल्कि पति-पत्नी के प्रेम और परिवारिक बंधनों का प्रतीक भी है।

व्रत शुरु होने का समय- पंचांग के अनुसार, करवा चौथ व्रत सुबह 6:19 बजे से लेकर रात 8:13 बजे तक रहेगा। इस प्रकार, व्रति महिलाओं का व्रत लगभग 14 घंटे का होगा।
चंद्र दर्शन और व्रत खोलने का समय–
करवा चौथ की रात चांद के दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस वर्ष चांद का उदय रात 8:13 बजे होगा। चांद के दर्शन के बाद महिलाएं छलनी से चांद और फिर अपने पति का चेहरा देखती हैं। इसके बाद पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत का पारण करती हैं।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – 05:57 पी एम से 07:11 पी एम
अवधि – 01 घण्टा 14 मिनट्स
पूजा विधि
प्रातःकाल: सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत का संकल्प लें।
दोपहर: भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
शाम: शुभ मुहूर्त में पूजा करें।
रात्रि: चांद के दर्शन के बाद छलनी से चांद और फिर पति का चेहरा देखें।
व्रत खोलना: पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत खोलें।