सचदेवा शरारती व नीलम विश्वकर्मा की सुर-प्रतिस्पर्धा ने बांधा समां

उत्तर प्रदेश सहायक क्राइम प्रभारी -विशाल गुप्ता

बाराबंकी। महादेवा महोत्सव की मंगलमयी संध्या मंगलवार को भक्ति, संगीत और आस्था के अद्भुत संगम में परिवर्तित हो गई, जब मंच पर आयोजित जवाबी कीर्तन ने पूरा परिसर उमंग और उल्लास से भर दिया। कानपुर से पधारे चर्चित कीर्तनकार सचदेवा शरारती ने सुमधुर सरस्वती वंदना “तख़्त दे न ताज दे, अति अनुपम आगाज़ दे…” के साथ ऐसे स्वर साधे कि वातावरण में भक्ति की सुगंध फैल गई। छतरपुर से आई सुप्रसिद्ध भजन गायिका नीलम विश्वकर्मा ने उनके सुरों का प्रत्युत्तर देते हुए मन को छू लेने वाली रचना “मुझे लोग कहते हैं चरणों की धूल…” प्रस्तुत की, जिसने दर्शकों के हृदय में भक्ति की तरंगें दौड़ा दीं। इसके बाद दोनों कलाकारों के बीच स्वर-संवाद और अधिक रोचक होता चला गया। सचदेवा शरारती की शिव स्तुति “शिव के सर की गंगा धरती पर बहती…” ने मंच पर दिव्यता भर दी, तो नीलम विश्वकर्मा ने “जहां देवों के देव महादेव विराजें, वहां देव सदा आते हैं…” जैसी पावन पंक्तियों से श्रद्धा का स्वर और ऊँचा कर दिया। कीर्तन के दौरान आस्था और कला का ऐसा बेजोड़ मिश्रण देखने को मिला कि श्रोता भाव-विभोर होकर तालियाँ बजाते रहे। कार्यक्रम का विधिवत आरंभ पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय ने दीप प्रज्वलित कर किया। महोत्सव में ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि सूरतगंज, भाजपा जिला उपाध्यक्ष शेखर हरायण, तहसीलदार विपुल कुमार सिंह, पुलिस क्षेत्राधिकारी गरिमा पंत, नायब तहसीलदार विजय प्रकाश तिवारी, खंड विकास अधिकारी रामनगर जितेंद्र कुमार, कोतवाल अनिल कुमार पांडे, समेत बड़ी संख्या में अधिकारी, कर्मचारी और श्रद्धालु मौजूद रहे। भक्ति और संगीत से सजी यह पुण्य-रात महादेवा महोत्सव की आध्यात्मिक गरिमा को नई ऊँचाइयों तक ले गई और दर्शकों को एक अनोखा, यादगार अनुभव प्रदान कर गई।

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