मध्य रात्रि तक बेचा जा रहा है खाद..कृषि अधिकारी ने मांगा स्पष्टीकरण.
धर्मेन्द्र कसौधन(राष्ट्रीय ब्यूरो)
महराजगंज। भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा उर्वरकों की कालाबाजारी, अवैध भंडारण और डाइवर्जन को रोकने के लिए की जा रही निगरानी के क्रम में जनपद में एक बड़ी कार्रवाई सामने आई है। जिला कृषि अधिकारी ने नियमों का उल्लंघन करने वाले एक उर्वरक केंद्र पर तत्काल प्रभाव से खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।
डेटा विश्लेषण में खुला ‘रात का खेल’।
खरीफ सीजन 2025 के दौरान उर्वरक वितरण के पैटर्न का विश्लेषण करने पर यह पाया गया कि मे० आई०एफ०एफ०डी०सी० कृषक सेवा केंद्र, बरोहिया ढाला के प्रोपराइटर परशुराम सिंह द्वारा असामान्य समय पर खाद की बिक्री की गई। मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा के अनुसार, निर्धारित समय सीमा के बाहर रात्रि 08:00 बजे से मध्य रात्रि 12:00 बजे के बीच कुल 19 क्रेताओं को 4.845 मीट्रिक टन उर्वरक बेचा गया।
नियमों की धज्जियां उड़ाई।
उल्लेखनीय है कि जनपद महराजगंज में उर्वरक वितरण का समय प्रातः 09:00 बजे से सायं 05:00 बजे तक ही निर्धारित है। रात्रि के समय खाद की बिक्री किया जाना प्रथम दृष्टया कालाबाजारी, अवैध भंडारण और डाइवर्जन की मंशा को दर्शाता है।

> अधिकारी का कथन:
“निर्धारित समय के अतिरिक्त असामान्य घंटों में खाद की बिक्री करना उर्वरक (नियंत्रण) आदेश-1985 और आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है।” — शैलेन्द्र प्रताप सिंह, जिला कृषि अधिकारी
फर्म पर लगा प्रतिबंध, 3 दिन में माँगा स्पष्टीकरण।
मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिसूचित प्राधिकारी व जिला कृषि अधिकारी शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने उक्त फर्म द्वारा उर्वरकों की खरीद और बिक्री पर अग्रिम आदेश तक पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रोपराइटर को नोटिस जारी कर निर्देशित किया गया है कि पत्र प्राप्ति के तीन दिन के भीतर अधोहस्ताक्षरी के समक्ष स्वयं उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करें।समय सीमा के भीतर संतोषजनक स्पष्टीकरण न देने पर संबंधित फर्म के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विभाग की इस कार्रवाई से खाद की कालाबाजारी करने वाले सिंडिकेट में हड़कंप मचा हुआ है।
एक ही छत के नीचे तीन तीन खाद की लाइसेन्स.. आखिर क्यों?
जानकारी के मुताबिक बरोहियां ढाला पर स्थित सिंह खाद भण्डार,कृषक सेवा केंद्र बरोहियां एवं एक अन्य नाम से खाद की बिक्री की दुकानें एक ही मकान में कैसे संचालित की जा रही है? और यदि संचालित की जा रही है तो किस आधार पर? इससे संबंधी तमाम सवाल खड़े हो रहें हैं।इस तरह के बहुत सारी विसंगतियां नजर आ रही हैं।इतने विसंगतियों के बावजूद भी यदि इस तरह के खाद की दुकानें संचालित की जा रही हैं तो इसका सीधा मतलब कहीं न कहीं जिम्मेदारों द्वारा संरक्षण देकर और मोटी रकम लेकर मामला मैनेज कर अपना जेब गर्म किया जा रहा।इस मामले को लेकर जल्द ही बड़े बड़े खुलासे होने वाले है।
