सलमान मालिक
अफ़ज़लगढ़।
नगर से सटे सलावतनगर मार्ग पर दिन हो या रात, आवारा कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुत्तों के झुंड राहगीरों पर अचानक हमला कर रहे हैं, जिससे आए दिन लोग घायल हो रहे हैं। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सबसे अधिक इन हमलों का शिकार बन रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में प्रतिदिन कुत्तों के काटने के कई मामले सामने आ रहे हैं और पीड़ितों को एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवाने के लिए अस्पताल पहुंचना पड़ रहा है न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बावजूद नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा कुत्तों के खुले विचरण पर कोई प्रभावी रोक नहीं लगाई जा सकी है। इसके चलते इनकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कुत्तों को पकड़ने और उनकी संख्या नियंत्रित करने के लिए न तो नगरपालिका और न ही कासमपुर ब्लॉक प्रशासन के पास पर्याप्त संसाधन हैं, और न ही कोई ठोस एवं स्थायी कार्ययोजना दिखाई दे रही है सलावतनगर क्षेत्र में हालात और भी चिंताजनक हैं। स्थानीय लोगों में भय का माहौल व्याप्त है। इसी मार्ग पर पूर्व में एक महिला को आवारा कुत्तों ने नोच-नोच कर मौत के घाट उतार दिया था जबकि एक पांच वर्षीय बच्ची की भी कुत्तों के हमले में जान जा चुकी है। नगर और गांवों को जोड़ने वाले रास्तों पर मरे हुए पशुओं के अवशेष पड़े होने से कुत्तों के झुंड वहां जमा रहते हैं। इन स्थानों पर 10 से 20 तक कुत्ते एक साथ घूमते देखे जा रहे हैं, जो किसी भी समय बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं।
इस गंभीर समस्या को लेकर न तो नगरपालिका,न कासमपुर ब्लॉक प्रशासन और न ही जिला स्तर के अधिकारी कोई ठोस कदम उठाते नजर आ रहे हैं। हाल ही में एक-दो दिन के लिए कुत्तों को पकड़ने की मुहिम जरूर चलाई गई, लेकिन वह भी महज औपचारिकता बनकर रह गई। स्थानीय लोगों द्वारा बार-बार शिकायतें किए जाने के बावजूद अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। ऐसे में आम जनता प्रशासन की उदासीनता से आक्रोशित है और खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है।

