रिपोर्ट-शिवम गुप्ता

बरेली। बरेली में यह कहानी एक पुलिसकर्मी की बहाली की ही नहीं है। बल्कि उस संतुलन, जिसमें पुलिस और वर्दी का अनुशासन, बार की गरिमा और मर्यादा, रिश्तों की कोमलता और अनोखी कसौटी की है। यही कानून की असली खूबसूरती है कि वह भावनाओं के बीच भी निष्पक्ष रह सकता है। बरेली रेंज में तैनाती के दौरान तत्कालीन आईजी डॉ० राकेश सिंह ने विभागीय जांच में दोषी पाए गए मुख्य आरक्षी तौफीक अहमद को सेवा से बर्खास्त कर दिया था। आरोप बेहद गंभीर थे। 13 जनवरी 2023 को जीआरपी बरेली जंक्शन थाने में दर्ज मामले में एक महिला यात्री से छेड़छाड़ और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा, जिसके चलते तौफीक अहमद को जेल भी जाना पड़ा।

पुलिस जैसे अनुशासित सेवा में ऐसे अपराध के लिए कोई जगह नहीं होती, इसलिए विभागीय जांच के बाद तत्कालीन आईजी डॉ राकेश कुमार सिंह ने सख्त फैसला सुनाया, बर्खास्तगी। यह कठोर लेकिन कर्तव्यनिष्ठ निर्णय था। लेकिन वक्त बदला और समय ने एक अनोखा मोड़ लिया। तौफीक अहमद ने अपनी बर्खास्तगी को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौत

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