*आदर्श श्रीवास्तव एम डी न्यूज

*लाट भैरव की निकली बारात भैरवी संग हुआ विवाह अनवरत चला रथ समिति के आग्रह पर भक्तों ने दूर से उतारी आरतीसिर पर मौर धारण किए भव्य रथ पर सवार होकर काशी के न्यायाधीश बाबा लाट भैरव सड़कों पर निकले तो हर आंखे अपलक निहारती रहीं।बाबा के विशाल रजत मुखौटे के दमकते नेत्रों की लालिमा देखते ही बन रही थी।प्रकांड ब्राह्मणों के आचार्यत्व में सूतककाल का विशेष ध्यान देते हुए दोपहर 12:30 बजे रजत मुखौटे को विग्रह पर विराजमान कराया जा चुका था।वैवाहिक कार्यक्रम अगले दिन ग्रहण के बाद ब्रह्म मूहूर्त में संपन्न हुई।रविवार को पौ फटने के साथ इन्ना माई की गली स्थित बसंत सिंह राठौर के निवास पर बारातियों की चहलकदमी शुरू हो गयी।ग्रहण के कारण लगने वाले सूतक के पहले आयोजन संपन्न कराने की जुगत में हर कोई लगा था।श्री कपाल भैरव अथवा लाट भैरव प्रबंधक समिति के तत्वावधान में मुख्य अतिथि विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी ने विधिवत पूजन के बाद नारियल फोड़कर बारात शोभायात्रा का शुभारंभ किया।गली से सड़क मार्ग तक मुखौटे को पारंपरिक रूप से कंधे पर लेकर भक्तों ने भव्य रथ पर विराजमान कराया।बारात संयोजक विक्रम सिंह राठौर अपने सहयोगी सेवादारों के साथ रथ पर मौजूद थे।हाथी, घोड़े, ऊंट, शहनाई, बैंड- बाजे, डीजे, डमरू दल के सैकड़ों वादक बारात के साथ आगे- आगे चल रहे थे। बारात से पहले बाबा के गढ़ों के आने के कोलाहल से समूचे बारात मार्ग के भक्त आरती की थाली लिए पहले से तैयार खड़े थे।समिति के सदस्यों ने जोड़ा हाथ भक्तों से किया आग्रह- निर्धारित समय पर समस्त कार्यक्रम का सम्पन्न होना बारात शोभायात्रा पर ही निर्भर था।इसलिए प्रबंध समिति के दर्जनों पदाधिकारी बारात के आगे भक्तों से दूर से आरती करने व रथ न रोकने का आग्रह कर रहे थे। श्रद्धालुओं ने आग्रह को सरमाथे लगाया।महिलाएं छतों बरामदों से पुष्पवर्षा कर रही थीं।घर की चौखट से ही सभी ने आरती उतारी।11 बजे तक बारात लाट भैरव कुंड पर पहुंच चुकी थीं।आचार्य रविंद्र त्रिपाठी के आचार्यत्व में आचार्य अमित भार्गव, कौशल भार्गव ने द्वार पूजन सम्पन्न कराया।पुजारी नितेश पांडेय ने सूतक के पहले बाबा की आरती उतारी।तदोपरांत मंदिर का पट ठीक 12:45 पर बंद कर दिया गया था।लाट भैरव दरबार बना भव्य विवाह मंडप चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद दरबार में वैवाहिक अनुष्ठान प्रारंभ होगा।अष्ट भैरव के मध्य बाबा श्री लाट भैरव का लिंगाकर नयनाभिराम स्वरूप सुशोभित था।चटक लाल रंग के वस्त्र में दूल्हा बने बाबा लाट भैरव की मनोहर छवि देखते ही बन रही थीं।बाबा दरबार को भव्य विवाह मंडप का स्वरूप दिया गया था।जिसमें कोहबर और मड़वा भी गड़े हुए थे।माता भैरवी से विवाह के बंधन में एकाकार होंगे।अनुमान के विपरीत- बारात से लेकर मंदिर तक श्रद्धालुओं का हुजूम उधर कज्जाकपुरा स्थित मंदिर में सुबह से ही भक्तों द्वारा दर्शन पूजन का क्रम चलता रहा।समिति के अध्यक्ष रोहित जायसवाल ने बताया कि इस वर्ष ग्रहण के कारण ऐसा अनुमान था कि श्रद्धालु कम संख्या में पहुंचेंगे जबकि इससे उलट हुआ।बारात से लेकर मंदिर तक भारी संख्या में भक्त मंदिर पहुंचे।शाम ढलते ही मंदिर व कुंड की आकर्षक सजावट देखने भी लोग पहुंच रहे थे।भाद्रपद पूर्णिमा पर दर्शन का विशेष पौराणिक महत्वसमिति के मीडिया प्रभारी शिवम अग्रहरि ने कहा कि काशीखंड के 100 वें अध्याय के श्लोकानुसार भादो पूर्णिमा को कपाल मोचन तीर्थ में स्नान, तर्पण व बाबा श्री कपाल भैरव के दर्शन- पूजन से भक्त को रुद्रपिशाचत्व के भय व प्रेतादि बाधाओं से मुक्ति मिलती है।समिति के पदाधिकारियों की विशेष उपस्थिति – अध्यक्ष रोहित जायसवाल पार्षद, प्रधानमंत्री छोटेलाल जायसवाल, मंत्री मुन्ना लाल यादव, नंदलाल प्रजापति, छोटन केशरी, बच्चे लाल बिंद, सुशील जायसवाल, नागेंद्र सिंह, अज्जू, ओंकार साठे, निक्की, हिमांशु, अंकित जायसवाल, आशीष कुशवाहा, विशेष जायसवाल, धनश्याम, मुकेश, अनिकेत, विनोद प्रजापति, श्याम, राजू, दिलीप मौर्य, शिवपूजन, रवि कुशवाहा, आलोक, राहुल बिंद, संतोष बिंद, अनीश, सनी आदि सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने पूरे कार्यक्रम के दौरान उपस्थित थे।

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