
प्रथम दिवस गुरु अर्जनदेव और बाबा ईशरसिंह के जीवन पर चर्चा
हरेन्द्र प्रताप सिंह
बिजुआ खीरी
बिजुआ विकास क्षेत्र के पड़रिया तुला कस्बे में तीन दिवसीय संत समागम का आयोजन किया जा रहा है। इस समागम में दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
समागम के पहले दिन, सीतापुर के नैमिषारण्य से आए जत्था सुल्तानसिंह वड़ैच ने गुरु अर्जनदेव और बाबा ईशरसिंह के जीवन पर प्रकाश डाला। जत्थे ने दोनों महान संतों के त्याग और शिक्षाओं का वर्णन किया।
जत्थे ने बताया कि श्री गुरु अर्जनदेव सिख धर्म के पांचवें गुरु थे। उनका जन्म 15 अप्रैल, 1563 को गोइंदवाल साहिब में हुआ था। उन्होंने भाई गुरदास की सहायता से 1604 में गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन किया, जिसमें गुरुओं के आध्यात्मिक ज्ञान को संकलित किया गया है। गुरु अर्जनदेव सिख धर्म के पहले शहीद बने, जिन्होंने सच्चाई और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया।
संत बाबा ईशरसिंह नानकसर कलेरां के बाबा नंद सिंह के समर्पित ‘गुरुमुख सेवादार’ थे। उनका जन्म 26 मार्च, 1916 को पंजाब के लुधियाना जिले के जगरांव के झोरारा गाँव में सरदार बग्गासिंह के घर हुआ था। जन्म के समय उनका नाम भाई इंदर सिंह था।
जत्थे के अनुसार, बाबा नंदसिंह ने ‘इंदर’ नाम को सांसारिक वैभव का सूचक मानकर अनुपयुक्त बताया और इसे बदलकर ‘ईशर सिंह’ कर दिया। बाबा नंद सिंह ने इस प्रकार अपने भावी उत्तराधिकारी पर आशीर्वाद बरसाया। बाबा ईशर सिंह बचपन से ही अत्यंत धर्मपरायण और समर्पित स्वभाव के थे।
एक घटना का उल्लेख करते हुए बताया गया कि एक बार बाबा नंद सिंह गर्मियों में तीन दिनों के लिए झोरारा गाँव आए थे। उस समय 13 वर्षीय भाई इंदरसिंह खेत में खरबूजे की फसल की रखवाली कर रहे थे। उन्हें एक रहस्यमय संदेश सुनाई दिया, “मैं तुम्हारे लिए यहाँ आया हूँ और तुम सोने जा रहे हो।”
इस घटना के बाद, उन्होंने अपने चचेरे भाई के साथ बाबा नंदसिंह से भेंट की। बाबा नंद सिंह ने उन्हें गुरुमुखी लिपि सीखने और बुरी संगति से दूर रहने का उपदेश दिया। भाई इंदर सिंह, जो बाद में बाबा ईशर सिंह जी के नाम से प्रसिद्ध हुए, जनता की निःशुल्क सेवा में प्रमुखता से भाग लेते थे। बाबा नंद सिंह जी की सलाह पर, उन्होंने संत वधावा सिंह जी से धार्मिक शिक्षा प्राप्त करना भी शुरू कर दिया।
सुरक्षा की दृष्टि से समागम में भीरा पुलिस भी तैनात की गई है। हालांकि, समागम में दूर-दराज से आए लोगों को गड्ढे और कीचड़ भरे रास्तों से होकर गुजरना पड़ रहा है, जिससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
