
हरेन्द्र प्रताप सिंह
एमडी न्यूज़ बिजूआ
(बिजुआ खीरी) विकास खण्ड बिजुआ के ग्राम बसतौली में ग्राम समाज की भूमि पर लगे बहुमूल्य लिप्टिस (यूकेलिप्टस) के पेड़ों को बेखौफ होकर काट कर बेच दिया गया, जबकि ग्रामीणों के अनुसार, स्थानीय लेखपाल ने पहले मौखिक रूप से ऐसा करने से मना भी किया था। हैरानी की बात यह है कि लेखपाल की मनाही के बावजूद यह अवैध कटान जारी रहा और शिकायतें मिलने के बाद भी संबंधित लेखपाल ने कोई ठोस कानूनी या प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की, जिससे इस पूरे मामले में उनकी भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है।
बताया जाता है कि ग्राम बसतौली में ग्राम समाज (सरकारी/सार्वजनिक) की एक भूमि पर लिप्टिस के पेड़ लगे हुए थे। ये पेड़ न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण थे, बल्कि ग्राम समाज की संपत्ति भी थे। हाल ही में, गांव की एक महिला द्वारा इन पेड़ों को गुपचुप तरीके से काटना शुरू कर दिया गया।
लेखपाल की भूमिका पर उठे सवाल
सूत्रों के अनुसार, जब यह कटान शुरू हुआ तो कुछ जागरूक ग्रामीणों ने इसकी सूचना लेखपाल को दी। लेखपाल ने मौके पर आकर अवैध कटान न करने की चेतावनी भी दी थी, लेकिन उनकी चेतावनी को दरकिनार करते हुए कटान जारी रखा और कटे हुए पेड़ों की लकड़ी को बेच दिया।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इतने गंभीर मामले, जिसमें सरकारी संपत्ति की चोरी और पर्यावरण को नुकसान शामिल है, लेखपाल ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। “अगर लेखपाल ने सख्त कार्रवाई की होती, FIR दर्ज कराई होती, या उच्च अधिकारियों को तत्काल सूचित किया होता तो पेड़ कटने से बच जाते। उनकी चुप्पी या निष्क्रियता से अवैध कटान करने वालों का हौसला बढ़ा है।
लिप्टिस के पेड़ों की अच्छी मांग होने के कारण, ग्राम समाज को हजारों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है। यह धन सीधे तौर पर ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में इस्तेमाल हो सकता था। इस अवैध गतिविधि से सरकार को राजस्व का भी नुकसान हुआ है।
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी/उपजिलाधिकारी से इस पूरे प्रकरण का संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने न केवल अवैध कटान करने वालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई (जैसे कि FIR दर्ज करना और वसूली करना) की मांग की है, बल्कि कथित रूप से लापरवाही बरतने वाले या मिलीभगत करने वाले लेखपाल के खिलाफ भी विभागीय जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है।

देखना यह होगा कि ग्राम समाज की संपत्ति के इस खुलेआम लूट के मामले में उच्चाधिकारी कब संज्ञान लेते हैं और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है, खासकर जब स्थानीय राजस्व कर्मचारी (लेखपाल) की भूमिका संदिग्ध है। यह मामला दिखाता है कि कैसे सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही से अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जाता है।
जब इस विषय पर क्षेत्रीय लेखपाल से सम्पर्क किया गया तो लेखपाल ने बताया है कि लकड़ी काटी गई थी जिसे उसी महिला के सुपुर्द कर दी गई थी अब महिला ने लकड़ी बेच दी है। कार्यवाही की जाएगी।
