रामनगर (बाराबंकी)।
ग्रामीण क्षेत्रों में आज गोवर्धन पूजा का पर्व बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसका उल्लेख कई पुराणों में मिलता है।

परंपरा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाल्यकाल में इंद्रदेव के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाया था। उसी दिव्य लीला की स्मृति में हर वर्ष कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है।

पुराणों में गोवर्धन पूजा का महत्व

  1. भगवान कृष्ण की लीला: यह पूजा भगवान कृष्ण की शक्ति और भक्ति का प्रतीक है, जिसमें उन्होंने अहंकार रूपी इंद्र पर विजय प्राप्त की।
  2. प्रकृति की आराधना: इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा के साथ-साथ गाय, गोबर, अन्न और जल जैसे प्राकृतिक तत्वों की आराधना की जाती है।
  3. भक्ति और समर्पण का प्रतीक: भक्त इस दिन भगवान कृष्ण के प्रति अपने समर्पण और प्रेम को प्रदर्शित करते हैं।

पुराणों में उल्लेख

  • श्रीमद्भागवत पुराण में इस लीला का विस्तृत वर्णन मिलता है।
  • विष्णु पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी गोवर्धन पूजा की महिमा का उल्लेख है, जहाँ इसे प्रकृति और भक्ति का संगम बताया गया है।

गांवों में सुबह से ही श्रद्धालु मंदिरों में पूजा-अर्चना में लीन रहे। लोगों ने गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी विधि-विधान से पूजा की और भगवान श्रीकृष्ण से समृद्धि एवं सुरक्षा की कामना की।

रिपोर्टर – रामानंद सागर
संपादन सहयोग – तेज बहादुर शर्मा, मंडल ब्यूरो चीफ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *