पिता से विरासत में मिला मूर्ति बनाने का हुनर हरेन्द्र प्रताप सिंह एमडी न्यूज़ बिजुआ बिजुआ ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायत वसलीपुर ग्रंट बंगाली कॉलोनी निवासी निमाई वैद्य मिट्टी की मूर्तियां बनाने में माहिर हैं। उन्हें यह हुनर अपने पिता से विरासत में मिला है। निमाई वैद्य केवल देवी-देवताओं और महापुरुषों की मूर्तियां बनाते हैं, जिसे वे अपना सौभाग्य मानते हैं।निमाई वैद्य ने बताया कि उनके पिता युधिष्ठिर वैद्य ने कोलकाता से मूर्ति बनाने की कला सीखी थी और यहीं मूर्तियां बनाते थे। निमाई ने कक्षा 5 तक पढ़ाई की, लेकिन पढ़ाई में मन न लगने के कारण उन्होंने अपने पिता के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया।समय के साथ, गांवों में होने वाले दुर्गा जागरणों में मूर्तियों की मांग बढ़ने लगी। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए निमाई ने अपनी पत्नी अनीता वैद्य, पुत्र प्रसन्नजीत, बहू सुनीता और दो पुत्रियों प्रीति व प्रियांशी को भी मूर्ति बनाना सिखाया।उनकी बनाई मूर्तियां गोला, भैठिया, कुकुरा, भीरा दंबल टांडा, मालपुर, मूड़ा सवारान और भटपुरवा सहित कई स्थानीय दरबारों में स्थापित की जाती हैं। इसके अतिरिक्त, उनकी मूर्तियां सीतापुर, पीलीभीत और शाहजहांपुर जैसे अन्य जिलों में भी भेजी जाती हैं। निमाई के लिए यह कार्य ही उनके परिवार के धनोपार्जन का एकमात्र जरिया है, और वे पूरे वर्ष इसमें व्यस्त रहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *