रिपोर्ट हरेन्द्र प्रताप सिंह
एमडी न्यूज़ बिजुआ खीरी
बिजुआ खीरी।उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के बिजुआ विकास खंड में ग्रामीणों ने प्रशासन की घोर अनदेखी के बाद खुद ही सड़क निर्माण का बीड़ा उठाया है। कई बार गुहार लगाने पर भी जब ‘जल्द बन जाएगा’ का आश्वासन हकीकत में नहीं बदला, तो ग्रामीणों ने हार मानने के बजाय श्रमदान से अपनी समस्या का समाधान खुद करने की ठानी।
यह महत्वपूर्ण मार्ग करीब आधा दर्जन से अधिक गांवों – रूरा सुल्तानपुर, कोरियाना, जोहरा, पूजागांव, करसौर, जोधपुर, मुड़िया और तनसुख पुरवा को मुख्य रास्ते से जोड़ता है। इस सड़क के निर्माण से हजारों ग्रामीणों को आवागमन में बड़ी सुविधा मिलेगी, जो लंबे समय से जर्जर मार्ग और विशेष रूप से बाढ़ के दौरान उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों से जूझ रहे थे। उचित मार्ग के अभाव में ग्रामीणों को ऊंचे स्थानों तक पहुंचने के लिए भी वैकल्पिक और अस्थायी रास्तों का सहारा लेना पड़ता था।

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार प्रशासन, संबंधित अधिकारियों और यहां तक कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से भी इस महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण की विनती की थी, लेकिन हर बार उन्हें केवल कोरे आश्वासन ही मिले।
प्रशासन से निराश होने के बाद, इन गांवों के निवासियों ने एकजुट होकर स्वयं इस कार्य को प्रारंभ करने का साहसिक निर्णय लिया। इस श्रमदान अभियान में सुधीर अवस्थी, रामप्रकाश अवस्थी, सुभाष अवस्थी, जगजीवन मिश्रा और पंकज जैसे कई अन्य ग्रामीण सक्रिय रूप से शामिल हुए। सभी ने मिलकर कंधे से कंधा मिलाकर इस आवश्यक कार्य को अंजाम दिया, जो सरकारी तंत्र की विफलता पर ग्रामीणों की सामूहिक शक्ति की मिसाल है।
ग्रामीणों का यह प्रयास न केवल उनकी आवागमन की समस्याओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जब प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेता है, तो आम नागरिक अपनी सामूहिक इच्छाशक्ति से कितना बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
