बहु आयामी समाचार एमडी न्यूज़ वॉइस ब्यूरो चीफ लखनऊ मंडल मोहम्मद आमिर 15 अक्टूबर

लखीमपुर खीरी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता की अध्यक्षता में बुधवार को सीएमओ कार्यालय सभागार में पीसीपीएनडीटी (गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक) अधिनियम के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जनपद के सभी अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालक उपस्थित रहे। बैठक का उद्देश्य लिंग चयन पर रोक लगाने और अल्ट्रासाउंड केंद्रों द्वारा अधिनियम के प्रावधानों का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराना रहा।
इस अवसर पर सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता ने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 का मुख्य उद्देश्य भ्रूण लिंग परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना और बालिका भ्रूण हत्या की रोकथाम करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लिंग जांच कराना या कराना दोनों ही दंडनीय अपराध हैं, जिसके तहत दोषी पाए जाने पर तीन से पांच वर्ष तक की सजा और 10,000 से 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही अल्ट्रासाउंड केंद्र का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। इस दौरान पीसीपीएनडीटी एक्ट को लेकर एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।


बैठक में रेडियोलॉजिस्ट एवं सीएचसी पलिया अधीक्षक डॉ. भरत सिंह ने पीसीपीएनडीटी अधिनियम से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड केंद्रों को प्रत्येक परीक्षण का पूर्ण रिकॉर्ड रखना आवश्यक है और सभी दस्तावेज निर्धारित प्रारूप में समय पर जमा किए जाने चाहिए। रिकॉर्ड में किसी भी प्रकार की लापरवाही पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
इस दौरान एसीएमओ डॉ. एस.पी. मिश्रा, एसीएमओ डॉ. आरएम गुप्त एवं डिप्टी सीएमओ डॉ. अमित सिंह भी उपस्थित रहे। अधिकारियों ने अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालकों से अपील की कि वे सभी नियमों का पालन करें और किसी भी परिस्थिति में लिंग जांच जैसी अवैध गतिविधियों से दूर रहें।
सीलिंग जांच अपराध है — पीसीपीएनडीटी एक्ट पर सीएमओ की अध्यक्षता में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

बहु आयामी समाचार एमडी न्यूज़ वॉइस ब्यूरो चीफ लखनऊ मंडल मोहम्मद आमिर 15 अक्टूबर

लखीमपुर खीरी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता की अध्यक्षता में बुधवार को सीएमओ कार्यालय सभागार में पीसीपीएनडीटी (गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक) अधिनियम के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जनपद के सभी अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालक उपस्थित रहे। बैठक का उद्देश्य लिंग चयन पर रोक लगाने और अल्ट्रासाउंड केंद्रों द्वारा अधिनियम के प्रावधानों का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराना रहा।
इस अवसर पर सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता ने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 का मुख्य उद्देश्य भ्रूण लिंग परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना और बालिका भ्रूण हत्या की रोकथाम करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लिंग जांच कराना या कराना दोनों ही दंडनीय अपराध हैं, जिसके तहत दोषी पाए जाने पर तीन से पांच वर्ष तक की सजा और 10,000 से 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही अल्ट्रासाउंड केंद्र का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। इस दौरान पीसीपीएनडीटी एक्ट को लेकर एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।
बैठक में रेडियोलॉजिस्ट एवं सीएचसी पलिया अधीक्षक डॉ. भरत सिंह ने पीसीपीएनडीटी अधिनियम से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड केंद्रों को प्रत्येक परीक्षण का पूर्ण रिकॉर्ड रखना आवश्यक है और सभी दस्तावेज निर्धारित प्रारूप में समय पर जमा किए जाने चाहिए। रिकॉर्ड में किसी भी प्रकार की लापरवाही पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
इस दौरान एसीएमओ डॉ. एस.पी. मिश्रा, एसीएमओ डॉ. आरएम गुप्त एवं डिप्टी सीएमओ डॉ. अमित सिंह भी उपस्थित रहे। अधिकारियों ने अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालकों से अपील की कि वे सभी नियमों का पालन करें और किसी भी परिस्थिति में लिंग जांच जैसी अवैध गतिविधियों से दूर रहें।
सीएमओ ने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को सफल बनाने के लिए सभी का सहयोग आवश्यक है। समाज में जागरूकता और कानून का पालन ही कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभावी नियंत्रण का मार्ग है।

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