रिपोर्टर। अब्दुल रहीम
लोकेशन। यूपी गोण्डा
आपस मे जनमानस में जब जब दूरी हो जाती है
इंकलाब लिखना तब मेरी मजबूरी हो जाती है……
कर्मयोद्धा कोचिंग सेंटर, मिस्टर बीन कैफे हाउस और फुलवारी पब्लिक स्कूल द्वारा दिनांक 10 नवंबर दिन सोमवार को प्रथम साहित्योत्सव, कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम टाऊन हॉल गांधी पार्क गोंडा में आयोजित हुआ। आयोजित सम्मेलन का मंच संचालन देश के प्रतिष्ठित कवि डॉ. नीरज पांडे जी ने किया। उन्होंने मंच संचालन के दौरान बीच-बीच में देश व्यापक विभिन्न मुद्दों पर कविताएं पढ़ी। जिसका यहां मौजूद श्रोताओं ने खूब आनंद लिया। इस अवसर पर हमारे मुख्य अतिथि सैयद राशिद इकबाल जी, अनंत हॉस्पिटल के डॉ. डॉ. उमा शंकर जी, अतुल मेडिकल सेंटर के डॉ. विजय सिंह जी, जसपाल सिंह सलूजा जी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की महामंत्री पूजा जी, पुनीता मिश्रा जी, रेड क्रॉस सोसाइटी की ज्योति जी, हमारे मीडिया बंधु , सुरेश सिंह जी, फुलवारी पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष वीर विक्रम सिंह जी मालती सिंह जी ने सरस्वती जी को माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। प्रतापगढ़ से आई मीरा तिवारी जी ने गरल पीकर रहे जिंदा यही अपनी कहानी है।
हमारा दर्द से रिश्ता बड़ा ही खानदानी है। रायबरेली से आए सौरभ शुक्ल जी ने राघव का अनुयाई ये मन हो जाये
मेरी कविताई मेरा धन हो जाये
तुलसी जैसे भाव हमारे हो जाये
मानस की चौपाई जीवन हो जाये। प्रयाग राज से आए अखिलेश द्विवेदी जी ने कोई परिचय नहीं तुमसे मगर सम्बन्ध पक्का है। नहीं टूटे जो अंतिम सांस तक अनुबंध पक्का है। गोंडा के संदीप सोनी जी ने ढूंढने से मिल सकती है दूजी दुनिया,
पर भारत सा देश नही मिल सकता हैं। गोंडा के शिवम् मिश्र जी ने जहाँ ख़ुद से पहले गाय को रोटी हो दी जाती है, जहाँ कण कण में हो। बाराबंकी से आए फैज़ खुमार जी ने बात कैसे इधर से उधर हो गई, बेखबर को भी शायद खबर हो गई
सब्र की एक चादर मेरे पास थी, उम्र सारी इसी में बसर हो गई। हैदरगढ़ बाराबंकी से आए शिवकिशोर तिवारी खंजन जी ने जिनके दर्द सीने में न वो बेदर्द होते हैं
जो फूलों पर चले हैं वे कभी कांटों पे सोते हैं।
बहराइच से आए संतोष सिंह जी ने कुछ अंधेरे रोशनी पर हक जमाना चाहते हैं
कैमरे के सामने गंगा नहाना चाहते हैं। इस कार्यक्रम की संरक्षिका डॉ. नीता सिंह ‘नवल’ जी ने बिना राधा की मूरत के अधूरा बंशीवाला है
जानकी बिन नही पूरा जग का रखवाला है
आकलन कर नहीं सकते कभी नारी की शक्ति का।
देवों को भी नारी ने अपने आँचल में पाला है। जैसी कविताओं का काव्य पाठ करके दर्शकों का मनमोह लिया। अंत में सभी कवियों और अतिथियों का सम्मान करके उनसे विदा ली गई।






