
AIMIM ने राष्ट्रपति व राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, कहा– महिला गरिमा व संविधान पर हमला बर्दाश्त नहीं

(रिपोर्ट सूरज गुप्ता) सिद्धार्थनगर।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) सिद्धार्थनगर इकाई के जिला अध्यक्ष निशात अली के नेतृत्व में पार्टी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने महामहिम राष्ट्रपति महोदया एवं महामहिम राज्यपाल महोदया को जिलाधिकारी सिद्धार्थनगर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में हालिया घटनाक्रम को संविधान, कानून और लोकतांत्रिक मूल्यों का घोर उल्लंघन बताया गया। जिला अध्यक्ष निशात अली ने कहा कि एक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा किसी महिला के धार्मिक पहनावे (हिजाब) के साथ की गई हरकत न तो मज़ाक है और न ही सामान्य घटना, बल्कि यह महिला अपमान, धार्मिक दमन और संवैधानिक मर्यादाओं का खुला उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोग यदि स्वयं को कानून से ऊपर समझने लगें, तो यह लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। इस प्रकरण के बाद मंत्री श्री संजय निषाद द्वारा दिया गया बयान— “हिजाब ही तो खींचा है, कुछ और तो नहीं किया”— महिला की गरिमा, सम्मान और देह को तुच्छ ठहराने वाला है, जो समाज में अपराधी मानसिकता को बढ़ावा देता है।
संवैधानिक व कानूनी उल्लंघन का आरोप
AIMIM ने ज्ञापन में कहा कि यह पूरा प्रकरण निम्नलिखित संवैधानिक व दंडात्मक प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है—
संवैधानिक उल्लंघन:
अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार
अनुच्छेद 15(1) – धर्म व लिंग के आधार पर भेदभाव
अनुच्छेद 19(1)(a) – अभिव्यक्ति व पहनावे की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 21 – जीवन, स्वतंत्रता व गरिमा का अधिकार
अनुच्छेद 25 – धार्मिक स्वतंत्रता
भारतीय न्याय संहिता (BNS):
धारा 74 – महिला की मर्यादा भंग
धारा 79 – महिला की लज्जा का अपमान
सार्वजनिक पद का दुरुपयोग – संवैधानिक कदाचार
साथ ही पार्टी ने विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (1997), NALSA बनाम भारत संघ (2014) और Aparna Bhat बनाम मध्य प्रदेश (2021) जैसे महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णयों का हवाला देते हुए महिला गरिमा को सर्वोपरि बताया।
